संविधान पर चर्चा का उल्लास
हाल ही में, राहुल गांधी ने संविधान पर चर्चा करते समय एकलव्य के उदाहरण का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इस तरह की चुनौतियाँ देखने को मिलती हैं। जैसे पहले हिंदुस्तान चला जाता था, कुछ इसी तरह से आज भी सत्ता में बैठे लोग युवाओं के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
एकलव्य का अद्वितीय उदाहरण
राहुल गांधी ने कहा कि जब वह छोटे थे, तब दिल्ली के पास जंगलों में खेलते थे। वे एकलव्य की कहानी का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि कैसे एकलव्य ने अपने गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा पाने का प्रयास किया। लेकिन द्रोणाचार्य ने यह कहकर मना कर दिया कि वह स्वर्ण जाति से नहीं है। इस तरह से एकलव्य को एक अपमान का सामना करना पड़ा, जिसने उसके दृढ़ संकल्प को और भी मजबूत किया।
युवाओं का अधिकार और समाज का दायित्व
इस युवा नेता ने यह स्पष्ट किया कि जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, वैसे ही आज की सरकार युवाओं का अंगूठा काटने का कार्य कर रही है। यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि यह उस समाज का प्रतीक है, जहाँ कुछ लोग दूसरों के अवसरों को रोकते हैं। राहुल गांधी ने सभी से यह सवाल पूछा कि क्या हम वास्तव में एकलव्य की तरह अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े रह सकते हैं?
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